आतंकवाद आज भारत के लिए सबसे गंभीर सुरक्षा चुनौतियों में से एक बन गया है। दशकों से भारत ने अलग-अलग प्रकार के आतंकवाद का सामना किया है, कभी सीमा पार से, तो कभी देश के भीतर से। हर हमले ने हमारे देश की सुरक्षा, अर्थव्यवस्था और सामाजिक ताने-बाने को गहरी चोट पहुंचाई है। लेकिन भारत ने हमेशा आतंकवाद के खिलाफ मजबूती से खड़े होकर दुनिया को यह दिखाया है कि एकजुटता और संकल्प के बल पर सबसे कठिन चुनौतियों का भी सफलतापूर्वक सामना किया जा सकता है।
भारत में आतंकवाद के स्रोत
सीमा पार आतंकवाद
भारत में आतंकवाद का सबसे बड़ा स्रोत हमारे पड़ोसी देश पाकिस्तान से संचालित होने वाला आतंकवाद है। कश्मीर घाटी, पंजाब और कई बड़े शहरों में हुए हमलों के पीछे पाक समर्थित संगठनों का हाथ रहा है। 26/11 मुंबई हमले, पठानकोट एयरबेस हमला, पुलवामा और पहलगाम जैसी घटनाएँ इसका प्रमाण हैं।
आंतरिक उग्रवाद
भारत के कई हिस्सों में वामपंथी उग्रवाद (नक्सलवाद) और अलगाववादी आंदोलनों ने भी देश की आंतरिक शांति को चुनौती दी है। नक्सल प्रभावित इलाकों में अब भी विकास और सुरक्षा दोनों को लेकर संघर्ष जारी है।
वैश्विक आतंकवाद का प्रभाव
आईएसआईएस और अल-कायदा जैसे अंतरराष्ट्रीय आतंकी नेटवर्क भी भारत में अपने पैर पसारने की कोशिश करते रहे हैं। सोशल मीडिया के जरिए युवाओं को कट्टरपंथी बनाने के प्रयास आज एक नई चुनौती बन चुके हैं।
भारत की आतंकवाद के खिलाफ रणनीति
भारत ने आतंकवाद से निपटने के लिए न केवल सख्त कानून बनाए हैं, बल्कि सुरक्षा बलों को भी लगातार आधुनिक बनाया है।
- कानूनी मोर्चे पर, UAPA (Unlawful Activities Prevention Act) और NIA (राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण) जैसे ठोस कदम उठाए गए हैं।
- सीमा पर सुरक्षा, स्मार्ट फेंसिंग, तकनीकी निगरानी और सख्त गश्त के जरिए मजबूत की गई है।
- अंतरराष्ट्रीय स्तर पर, भारत ने संयुक्त राष्ट्र और अन्य मंचों पर आतंकवाद के खिलाफ कड़े प्रस्ताव रखे हैं और वैश्विक सहयोग बढ़ाया है।
- विकास के मोर्चे पर, आतंक प्रभावित इलाकों में सड़कें, शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के नए अवसर पैदा करने पर भी जोर दिया जा रहा है ताकि लोग हिंसा के बजाय विकास का रास्ता चुनें।
आतंकवाद से जुड़ी वर्तमान चुनौतियाँ
- आतंकी फंडिंग: हवाला, ड्रग्स और काले धन के जरिए आतंकवाद को आर्थिक मदद मिलती है।
- साइबर आतंकवाद: इंटरनेट के जरिए आतंकी संगठन युवाओं को बहकाने और स्लीपर सेल बनाने में लगे हैं।
- अंतरराष्ट्रीय समर्थन: कुछ देश अब भी आतंकवादियों को पनाह देते हैं, जिससे वैश्विक लड़ाई कमजोर पड़ती है।
- नई तकनीक का दुरुपयोग: ड्रोन और एआई जैसी आधुनिक तकनीक आतंकवाद को और खतरनाक बना रही है।
आगे की राह
आतंकवाद से लड़ने के लिए भारत को लगातार चौकस रहना होगा।
- तकनीकी रूप से मजबूत होना,
- सुरक्षा बलों को और आधुनिक बनाना,
- अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कूटनीतिक दबाव बनाना,
- और सबसे ज़रूरी, देश के युवाओं को शिक्षा, रोजगार और जागरूकता के जरिए कट्टरपंथ से दूर रखना, यही भविष्य की कुंजी है।