पटना: बिहार विधानसभा के बजट सत्र के दौरान नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और राज्य सरकार पर तीखे सवाल खड़े किए। उन्होंने बेरोजगारी, भ्रष्टाचार और अपराध के मुद्दों को उठाते हुए सरकार पर जनता को गुमराह करने का आरोप लगाया।
बीजेपी को चुनावी चुनौती
तेजस्वी यादव ने बीजेपी से सवाल किया कि अगर उन्हें अपनी लोकप्रियता पर इतना भरोसा है, तो वे बिहार में अकेले चुनाव लड़कर दिखाएं। उन्होंने कहा कि गठबंधन के सहारे चुनाव जीतने वाले दलों को अपनी असली ताकत का अंदाजा तभी होगा जब वे बिना सहयोगी दलों के मैदान में उतरेंगे।
बिहार की परंपरा और सरकार पर टिप्पणी
अपने संबोधन में तेजस्वी ने बिहार की सांस्कृतिक धरोहर का जिक्र करते हुए ‘लौंडा नाच’ की बात की और कहा कि यह हमारी परंपरा का हिस्सा है, लेकिन सरकार इसे हल्के में लेती है। उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर निशाना साधते हुए कहा कि जनता की समस्याओं से ज्यादा उन्हें अपनी कुर्सी की चिंता है।
बजट और विकास पर सवाल
तेजस्वी यादव ने बिहार के बजट की तुलना पिछले वर्षों से करते हुए कहा कि 1990 में जब लालू प्रसाद यादव मुख्यमंत्री बने थे, तब बजट करीब 3,000 करोड़ रुपये था, जो 2005 में 28,000 करोड़ रुपये हो गया। उन्होंने कहा कि एनडीए सरकार के कार्यकाल में बजट 2.78 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच चुका है, लेकिन राज्य की स्थिति में अपेक्षित सुधार नजर नहीं आता।
केंद्र सरकार पर तंज
केंद्र सरकार को घेरते हुए तेजस्वी यादव ने कहा कि आंध्र प्रदेश के चंद्रबाबू नायडू ने केंद्र से बड़े पैकेज लिए, लेकिन बिहार को लेकर वैसा कोई प्रयास नहीं हुआ। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि अगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बिहार आए, तो लालू यादव उन्हें सत्तू पिलाकर बिहार की असली स्थिति से अवगत कराएंगे।
बिहार के भविष्य को लेकर संकल्प
अपने संबोधन के अंत में तेजस्वी यादव ने कहा कि उनकी लड़ाई केवल सत्ता पाने के लिए नहीं, बल्कि बिहार को आगे ले जाने के लिए है। उन्होंने जनता से अपील की कि वे सही फैसले लें और राज्य के भविष्य के बारे में सोचें।
तेजस्वी की इस चुनौती के बाद देखना दिलचस्प होगा कि बीजेपी और जेडीयू इस पर क्या प्रतिक्रिया देते हैं और क्या सच में अकेले चुनाव लड़ने के लिए तैयार होते हैं।