जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने भारत के आम जनमानस की आत्मा को भय और विषाद से भर दिया है। 28 पर्यटकों की नृशंस हत्या के बाद भारत सरकार ने तीखी प्रतिक्रिया दी और सख्त कदम उठाए। इसके तुरंत बाद, गुरुवार को पाकिस्तान ने शिमला समझौते को निलंबित कर चौंकाने वाला ऐलान कर दिया।
इस फैसले ने भारत-पाकिस्तान संबंधों में नई तीखापन भर दी है, और नियंत्रण रेखा (LoC) पर हालात और अधिक अस्थिर होने की संभावना बढ़ गई है।
भारत ने हमले के लिए स्पष्ट रूप से पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठनों को जिम्मेदार ठहराया हैं। जवाब में, इसके जवाब में पाकिस्तान ने न सिर्फ शिमला समझौते को रोका बल्कि भारतीय विमानों के लिए हवाई सीमा बंद की और व्यापारिक रिश्ते भी तोड़ दिए।
शिमला समझौता क्या है ?
शिमला समझौता भारत और पाकिस्तान के बीच एक समझौता है, जो 1971 के भारत-पाक युद्ध के बाद 2 जुलाई 1972 को शिमला में हुआ था किया गया था। ताकि दोनों देशों के बीच शांति स्थापित की जा सके और संबंधों को सामान्य बनाया जा सके।
शिमला समझौता भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति जुल्फिकार अली भुट्टो के बीच हुआ था। इसका उद्देश्य 1971 के युद्ध के बाद दोनों देशों के रिश्तों को फिर दोबारा सामान्य बनाना।
इस ऐतिहासिक समझौते के महत्पूर्ण बिंदु:
बिंदु | विवरण |
शांति का वचन | भारत और पाकिस्तान ने युद्ध को समाप्त कर शांतिपूर्ण संबंधों को फिर से स्थापित करने का संकल्प लिया। |
द्विपक्षीय समाधान | सभी विवादों को द्विपक्षीय बातचीत के माध्यम से सुलझाने पर सहमति बनी। किसी तीसरे पक्ष (जैसे UN या अन्य देश) की मध्यस्थता से परहेज किया गया। |
नियंत्रण रेखा (LoC) | युद्धविराम रेखा को बदलकर नियंत्रण रेखा (LoC) का नाम दिया गया और दोनों पक्षों ने उसे मान्यता दी। एकतरफा बदलाव निषेध किया गया। |
कैदियों की वापसी | युद्ध के कैदियों (POWs) की सुरक्षित वापसी और मानवीय व्यवहार सुनिश्चित करने का निर्णय लिया गया। |
कोई युद्ध नहीं | भविष्य में एक-दूसरे की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करने का वचन लिया गया। |
LoC पर क्या असर पड़ेगा?
पाकिस्तान द्वारा इस समझौते को निलंबित करने का मतलब है कि वह अब LoC पर अपनी तरफ से कोई भी एकतरफा फैसला लेने के लिए स्वतंत्र हो सकता है, जैसे घुसपैठ, सीज़फायर उल्लंघन या सीमा पर सैन्य हलचल।
यह स्थिति न सिर्फ तनाव बढ़ा सकती है, बल्कि दोनों देशों के बीच सैन्य टकराव की संभावनाएं भी खतरनाक रूप से बढ़ा सकती हैं।
अब आगे क्या?
पाकिस्तान द्वारा शिमला समझौते को निलंबित करना सिर्फ एक राजनीतिक कदम नहीं, बल्कि दक्षिण एशिया की शांति के लिए एक गहरी चेतावनी है। कूटनीति जानने वालों का मानना है कि जब दुनिया पहले से ही यूक्रेन, गाज़ा और अफगानिस्तान जैसे संघर्षों में उलझी है, ऐसे में भारत और पाकिस्तान को टकराव की नहीं, समझदारी की ज़रूरत है। अब वक्त है कि दोनों देश युद्ध की भाषा छोड़कर फिर से बातचीत की टेबल पर लौटना होगा।