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Test फिल्म समीक्षा: जुनून, संघर्ष और नैतिक दुविधाओं की कठिन परीक्षा!

Test एक तमिल फिल्म है जो क्रिकेटर अर्जुन, स्कूल टीचर कुमुधा और वैज्ञानिक सरवनन की जिंदगियों में आए संघर्षों और फैसलों को दिखाती है। फिल्म नैतिक दुविधाओं और दिलचस्प ट्विस्ट के माध्यम से दर्शकों को एक गहरी परीक्षा से गुजरने पर मजबूर करती है।

नेटफ्लिक्स की बहुप्रतीक्षित तमिल फिल्म Test न केवल अपने किरदारों बल्कि दर्शकों को भी एक गहरी परीक्षा में डाल देती है। एस. शशिकांत द्वारा निर्देशित और सुमन कुमार के साथ सह-लिखित यह फिल्म एक क्रिकेटर, एक स्कूल टीचर और एक वैज्ञानिक की जटिल भावनाओं व मुश्किल फैसलों को परखती है।

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    पटकथा: जब हर किरदार की ज़िंदगी एक टेस्ट बन जाए

    फिल्म की कहानी अर्जुन (सिद्धार्थ) के इर्द-गिर्द घूमती है, जो भारत-पाकिस्तान के बीच एक निर्णायक टेस्ट मैच में खेलते हुए इस भय से जूझ रहा है कि यह उसका आखिरी मुकाबला हो सकता है। मैदान के बाहर, उसकी पत्नी पद्मा (मीरा जैस्मिन) और बेटा आदि भी इस मानसिक उथल-पुथल का दंश झेल रहे हैं।

    दूसरी ओर, कुमुधा (नयनतारा) और सरवनन (आर. माधवन) एक अलग जंग लड़ रहे हैं। कुमुधा मां बनने के अपने सपने को पूरा करने के लिए संघर्षरत है, जबकि सरवनन अपने वैज्ञानिक प्रोजेक्ट को सफल बनाने के लिए कर्ज में डूबता जा रहा है। ये तीनों किरदार तब टकराते हैं जब ज़िंदगी उन्हें ऐसे मोड़ पर लाकर खड़ा कर देती है, जहां हर फैसला उनकी नियति तय करने वाला साबित होता है।

    नैतिकता की कसौटी और ट्विस्ट से भरी पटकथा

    फिल्म सिर्फ किरदारों की भावनात्मक यात्रा तक सीमित नहीं रहती, बल्कि बीच में ऐसा मोड़ आता है जो दर्शकों को भी चौंका देता है। यह बदलाव फिल्म को एक मनोवैज्ञानिक थ्रिलर के दायरे में ले जाता है। हालांकि, यह मोड़ कितना असरदार है, यह दर्शकों की भावनात्मक जुड़ाव पर निर्भर करता है।

    अभिनय: नयनतारा की चमक, सिद्धार्थ का संयम और माधवन का आकर्षण

    मीरा जैस्मिन अपने छोटे लेकिन दमदार किरदार में प्रभावित करती हैं। सिद्धार्थ का किरदार शुरू में थोड़ा ठंडा लगता है, लेकिन जब अर्जुन अपनी सबसे बड़ी परीक्षा से गुजरता है, तब वह प्रभावी हो जाते हैं। माधवन हमेशा की तरह सहज और आकर्षक नजर आते हैं, लेकिन असली सरप्राइज़ पैकेज नयनतारा हैं, जो कुमुधा के किरदार में शानदार प्रदर्शन करती हैं।

    क्या Test इस परीक्षा में सफल होती है?

    फिल्म का शुरुआती भाग शानदार तरीके से किरदारों को गढ़ता है, लेकिन बाद के हिस्सों में कहानी कुछ ज़्यादा ही खिंचती नज़र आती है। 145 मिनट लंबी यह फिल्म कई जगह दोहराव का शिकार हो जाती है, लेकिन दमदार अभिनय और भावनात्मक गहराई इसे देखने लायक बनाते हैं।

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    अंततः, Test एक ऐसी फिल्म है जो दर्शकों को सोचने पर मजबूर कर देती है – क्या ज़िंदगी में हर परीक्षा पास करना ज़रूरी होता है?

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