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वक्फ अधिनियम 2025 पर जेडीयू के मुस्लिम नेता ने अपनी ही पार्टी के खिलाफ खोला मोर्चा

वक्फ अधिनियम 2025 को लेकर जेडीयू के वरिष्ठ मुस्लिम नेता हाजी परवेज़ सिद्दिकी ने अपनी ही पार्टी से असहमति जताते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है। इस कदम से बिहार की चुनावी राजनीति में उबाल आ गया है।

वक्फ अधिनियम 2025 को लेकर जेडीयू के मुस्लिम नेता हाजी मोहम्मद परवेज़ सिद्दिकी ने अपनी ही पार्टी के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया है। संसद से पास होकर राष्ट्रपति की मंजूरी पा चुके इस कानून के विरोध में सिद्दिकी ने कहा कि वह पार्टी में रहते हुए भी न्याय के लिए सर्वोच्च न्यायालय में लड़ाई लड़ेंगे। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि नीतीश कुमार से बातचीत के बावजूद उनकी आपत्तियों को नज़रअंदाज़ किया गया, जिससे यह कानून मुस्लिम समाज के लिए असुरक्षा और अविश्वास का कारण बन गया है।

2 अप्रैल को यह संशोधन विधेयक लोकसभा में और 3 अप्रैल को राज्यसभा में पारित किया गया। इसके बाद 4 अप्रैल को राष्ट्रपति की स्वीकृति से यह कानून बन गया। केंद्र सरकार का दावा है कि यह कानून वक्फ संपत्तियों की पारदर्शिता और कुशल प्रबंधन के लिए जरूरी है, लेकिन इसके कई प्रावधान मुस्लिम समुदाय के भीतर चिंता का कारण बन गए हैं।

हाजी परवेज़ सिद्दिकी, जो राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आरक्षण मोर्चा के अध्यक्ष भी हैं, ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि वह जेडीयू के लिए वर्षों से ज़मीनी स्तर पर काम कर रहे हैं, लेकिन इस निर्णय से वे बेहद आहत हैं। उन्होंने कहा, “मुझे समझ नहीं आता कि नीतीश कुमार ने किन परिस्थितियों में इस अधिनियम का समर्थन किया। मैंने स्वयं मिलकर उन्हें मुस्लिम समुदाय की चिंताओं से अवगत कराया था, लेकिन इसके बावजूद पार्टी ने कानून के पक्ष में मतदान किया।”

सिद्दिकी का यह कदम पार्टी के भीतर असंतोष की झलक देता है। उन्होंने यह भी कहा कि वे जेडीयू से अलग नहीं होंगे, लेकिन लोकतांत्रिक तरीके से पार्टी में रहते हुए ही इस अन्याय के खिलाफ आवाज़ उठाते रहेंगे। उनका यह स्टैंड कई मुस्लिम नेताओं के लिए भी एक संकेत है, जो शायद पार्टी लाइन के खिलाफ जाने से झिझक रहे थे।

विपक्षी दलों ने भी वक्फ अधिनियम 2025 का विरोध किया है। उनका कहना है कि यह कानून मुस्लिम समाज को डराने और नियंत्रित करने का एक प्रयास है। वक्फ संपत्तियों पर पहले ही कई विवाद चल रहे हैं और नया कानून इन्हें और उलझा सकता है। विरोधियों के अनुसार, सरकार को चाहिए कि वह वक्फ संपत्तियों के पारदर्शी उपयोग और संरक्षण के उपाय करे, न कि ऐसे प्रावधान लाए जो अल्पसंख्यक समाज को अपने ही संस्थानों से दूर कर दें।

बिहार में इसी साल चुनाव होने हैं और ऐसे में इस मुद्दे का राजनीतिक असर स्पष्ट रूप से दिखने लगा है। जेडीयू का परंपरागत मुस्लिम वोट बैंक पहले से ही असमंजस में है और अब जब पार्टी के भीतर से ही विरोध की आवाज़ें उठ रही हैं, तो यह सीधा संदेश देता है कि सब कुछ ठीक नहीं है। सिद्दिकी की सुप्रीम कोर्ट में याचिका न सिर्फ कानूनी चुनौती है, बल्कि राजनीतिक चेतावनी भी।

यह देखना दिलचस्प होगा कि सुप्रीम कोर्ट इस याचिका पर क्या रुख अपनाता है और जेडीयू इस आंतरिक मतभेद से कैसे निपटती है। लेकिन एक बात स्पष्ट है — वक्फ अधिनियम 2025 अब सिर्फ एक कानून नहीं, बल्कि राजनीतिक और सामाजिक विमर्श का केंद्र बन चुका है।

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सुगंधा एक तेज़तर्रार पत्रकार और कानूनी जानकार हैं, जो बेखौफ़ रिपोर्टिंग, तीखे विश्लेषण और प्रभावशाली कहानी कहने के लिए जानी जाती हैं। वे बौद्धिकता को प्रभाव में बदलकर समाजिक विमर्श को नई दिशा देती हैं।

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