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मीडिया की तेजी या जिम्मेदारी से चूक

भारतीय मीडिया कई बार जांच एजेंसियों से पहले सूचना देता है, सवाल उठता है, क्या ये सनसनी फैलाना है या जिम्मेदारी निभाना?

भारत में जब कोई बड़ी घटना होती है, तो अक्सर देखा गया है कि मीडिया सबसे पहले घटनास्थल की जानकारी देता है। कई बार ऐसा प्रतीत होता है कि मीडिया चैनलों को सुरक्षा और जांच एजेंसियों से भी पहले महत्वपूर्ण जानकारियाँ मिल जाती हैं, जैसे कि घटनाक्रम में शामिल लोग कौन थे, उनका कहां से संबंध था, या किस संगठन से जुड़े हुए थे।

चित्रा त्रिपाठी , रोमाना इसार खान, अर्नव गोस्वामी, सुधीर चौधरी, नविका कुमार, अमन चौपड़ा , अमीष देवगन और अंजना ओम कश्यप जैसे पत्रकार इसमें सबसे अधिक आगे होते हैं, यह दुःखी देश का पूरा मूड और भाव घुमा देते हैं‌ और सरकार बच जाती है।

ऐसा लगता है कि अगर इन पत्रकारों को कैमरे के बजाय हथियार थमा दिए जाएं, तो वे पाकिस्तान तक चढ़ाई कर सकते हैं। लेकिन सवाल यह है कि क्या मीडिया का काम सिर्फ सनसनी फैलाना है, या उसे जिम्मेदारी और संतुलन के साथ सूचना देना चाहिए?

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अनिल यादव एक वरिष्ठ पत्रकार हैं, जिनकी कलम सच्चाई की गहराई और साहस की ऊंचाई को छूती है। सामाजिक न्याय, राजनीति और ज्वलंत मुद्दों पर पैनी नज़र रखने वाले अनिल की रिपोर्टिंग हर खबर को जीवंत कर देती है। उनके लेख पढ़ने के लिए लगातार OBC Awaaz से जुड़े रहें, और ताज़ा अपडेट के लिए उन्हें एक्स (ट्विटर) पर भी फॉलो करें।

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